छत्तीसगढ़ के इतिहास की परीक्षापयोगी महत्वपूर्ण तथ्य

  •  लोचन प्रसाद पांडे छत्तीसगढ़ के प्रथम पुरातत्व वेत्ता थे।  किरारी का काष्ठ स्तंभ तथा गुंजी का शिलालेख इनकी प्रमुख पुरातत्व संबंधी निबंध है।
  • बाबू रेवा राम को छत्तीसगढ़ का प्रथम इतिहास माना जाता है।

  • पुराताविक स्थल एवं उसके काल 
    • पुरापाषाण काल — रायगढ़ जिले के सिंघनपुर कबरा पहाड़ बोतल्दा, सोनबरसा
    • मध्य पाषाण काल — बस्तर के कालीपुर, राजपुर, गढ़घनौरा, गढ़ चंदेला, खढ़गघाट
    • उत्तर पाषाण काल - रायगढ़ जिला में कबरा पहाड़, सिघनपुर, बोतल्दा, महानदी घटी, आंगना कर्मागढ़
    •  नव पाषाण काल - दुर्ग - अर्जुनी
                                            राजनांदगांव - बोनटीला, चितवा डोंगरी
                                            रायगढ़ - टेरम

    • सिरपुर का पुरातात्विक उत्खन्नन सर्वप्रथम 1953 में प्रो0 मोरेश्वर गंगाधर दीक्षित के निर्देशन में प्रारंभ हुआ।
    • ऋगवेदिक कालीन साहित्यों में छत्तीसगढ़ का वर्णन प्राप्त नहीं है। उत्तर वैदिक कालीन साहित्यों में नर्मदा नदी का उल्लेख रेवा के नाम से मिलता है।
    • वाल्मीकि रामायण के अनुसार राम ने दक्षिण कोसल का क्षेत्र अपने छोटे बेटे कुश को दिया था।
    • रामायण काल - कोसल, दक्षिण कोसल
    • महाभारत काल - कोसल, प्राक्कोसल
     बस्तर - महाकांतार
    • छत्तीसगढ़ क्षेत्र का उल्लेख रामायण महाभारत एवं पुराणों में मिलता है।
    • प्राचीन काल में बस्तर को महाकांतार, एक कांतार, चक्रकोट, भ्रमरकोट के नाम से जाना जाता था।
    • प्राचीन जनश्रुति अनुसार राजा मोर ध्वज का संबंध आरंग एवं रतनपुर से था।
    • समुद्र गुप्त के हरिषेण कृत प्रयाग प्रशस्ति के अनुसार समुद्र गुप्त ने दक्षिणापथ अभियान के दौरान कोसल शासन महेन्द्र एवं महाकांतार के शासक व्याघ्रराज को पराजित किया था। प्रयाग प्रशस्ति में छत्तीसगढ़ को कोसल कहा गया है। समुद्र गुप्त कोसल (छत्तीसगढ़) को अपने राज्य में शामिल नहीं किया।
    • पाली (कोरबा जिला) के प्रशस्त मंदिर का निर्माण पाण्डुवंशीय शासक बालार्जून महाशिव गुप्त ने कराया था।
    • सन् 639 ई0 में चीनी यात्री ह्वेनसांग ने सिरपुर एवं मल्हार की यात्रा किया था। इस समय सिरपुर में पाण्डूवंश का शासन था।
    • छत्तीसगढ़ में मंदिरों का निर्माण पाण्डूवंश के काल में प्रारंभ हुआ माना जाता है।
    • प्राचीन बस्तर में छिंदक नाग वंश के शासन था शासकों के नाम निम्नानुसार है-  नरसिंह देव, सोमेश्वर देव, कन्हरदेव, जयसिंह देव नरसिंह देव, हरीश चंद्रदेव
    • पाण्डूवंश के शासक हर्ष गुप्त का विवाह मगथ के मौखरी शासक सूर्यवंर्मन की पुत्री रानी वासटा से हुआ था। हर्ष गुप्त के मृत्यु पश्चात् रानी वासटा ने स्मृति में सिरपुर में विष्णु मंदिर का निर्माण कराया जिसे लक्ष्मण मंदिर के नाम से जाना जाता है।
    • प्राचीन छत्तीसगढ़ का उत्तरी भाग मौर्य सामा्रज्य में शामिल था। सरगुजा  जिले के रायगढ़ की पहाड़ी में सीता बेंगरा एवं जोगीमारा गुफा स्थित है। जो कि मौर्यकालीन है, जोगीमारा गुफा में मौर्यकालीन लेख प्राप्त हुआ है जिसमें देवदासी सुतनुका तथा देवदत्त के प्रेमप्रसंग का उल्लेख है। इस लेख की भाषा पाली तथा लिपि ब्राहा्री है।
    • छत्तीसगढ़ के प्राचीन राजवंश एवं उसके शासक -   
                    राजर्षितुल्य कुल - सूर,दयित प्रथम, विभीषण।नल वंश - भवदत्त वर्मन, स्कंदवर्मन, विलासतुंग
                    शरभपुरीय वंश - नरेंन्द्र, प्रसन्नमात्र , सुखदेव राज
                    पाण्डुवंश - तीवरदेव, हर्ष गुप्त, बालार्जुन, महाशिव गुप्त
    • प्राचीन मंदिर एवं निर्माणकर्ता राजवंश- 
                राजीव लोचन मंदिर राजिम - नलवंशी शासक
               पातालेश्वर मंदिर, मल्हार - सोमराज नामक बा्रहम्ण
                लक्ष्मणेश्वर मंदिर, सिरपुर - पाण्डुवंश
                देवरानी जेठानी मंदिर  तालागांव - शरभपुरीय वंश (छत्तीसगढ़ के प्राचीनतम मंदिर)
                मड़वा महल चैरागांव - फणिनाथ वंश 


                                                                                                                                           To be Continue.... 

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